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जरा सोंचें !



आज कल लोग अपना काम केवल बातें बना देने से मतलब तक रखते है


पर यथार्थ की गहराई में कोई नही जाना चाहता , सभी महान बनाना चाहते हैं पर किसी वस्तु का समर्पण

करना हो तो उन्हें अपना पेट दिखाई देने लगता है कोई फेसबुक पर अपनी भडास निकालता हिया तो कोई

 समाचरपत्र में लम्बा चौड़ा लेख लिख कर , पर कोई भी देश की व् देश के नागरिक और उसकी संस्कृति की 

परवाह नही करता ,यह सब केवल दिखावे की बातें है. फालतू की बातें करनी बंद करें और यदि वास्तव में 

कुछ करना कहते हैं तो सबसे पहले खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त करें और खुद अपने देश और संस्कृति का 

सम्मान करना प्रारम्भ करें ! 


इस बात पर अवश्य विचार करें की हम अपनी संतानों को शिक्षा और शिष्टता सिखाना चाहते हैं पर जब बात 


व्यक्तिगत होती है तो सारे सिद्धांत किनारे कर देते है/काश !हम सब की सोंच में सुधार हो जाय और खुद को 


बदलने लगें तो परिवार ,समूह और देश भी बदल 


सकता है ! हर एक को इस पावन कार्य के लिए आगे आना चाहिए पर सबसे पहले अपनी सोंच को सर्व 


कल्याण कारी बनाना होगा तभी हम अपना और देश व् समाज का भला कर सकते हैं !मीडिया भी अब मुद्दों से


 अपनी रोटियां सेंकती है/हर एक चैनल का मालिक अरबपति है और केवल यही चाहता है की नित नई 


घटनाएँ हों और हमें मुद्दे मिलते जाएँ पर वास्तव में कोई भी सुधार नही चाहता !

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