तुमने मुझे जो तोहफा-ए-गम दिए,
हिफाजत में इनकी , मैं टूटता चला गया!
हिफाजत में इनकी , मैं टूटता चला गया!
मंजिले बहुत थीं इस जमाने में मगर
हर एक मंजिल में , तुझे ढूंढता चला गया !
हर एक मंजिल में , तुझे ढूंढता चला गया !
रात में पहले नींद फिर नींद में ख्वाब
और ख्वाबों में तुझको ही
ढूंढता चला गया!
रह गया एक तू ही ख्यालों में अब ,
जहाँ के साथ खुद को ही भूलता चला गया !
आँख को या अश्कों को कहूं बेवफा,
ये सवाल जिन्दगी से पूंछता चला गया !
तुमने मुझे जो तोहफा-ए-गम दिए,
हिफाजत में इनकी , मैं टूटता चला गया!
हिफाजत में इनकी , मैं टूटता चला गया!
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