सरकार की विभिन्न सरकारी योजनायें विकास के लिए नहीं; वरन "टारगेट अचीवमेंट ऑन पेपर" और अधिकारीयों की जेबों का टारगेट अचीव करती हैं! फर्जी प्रोग्राम , सेमीनार और एक्सपोजर विजिट या तो वास्तविक तौर पर होती नहीं या तो मात्र पिकनिक और टूर बनकर मनोरंजन और खाने - पीने का साधन बनकर रह जाती हैं! हजारों करोड़ रूपये इन योजनाओं में प्रतिवर्ष विभिन्न विभागों में व्यर्थ नष्ट किये जाते हैं! ऐसा नहीं है कि इसके लिए मात्र सरकारी विभाग ही जिम्मेवार हैं , जबकि कुछ व्यक्तिगत संस्थाएं भी देश को लूटने का प्रपोजल सेंक्शन करवाकर मिलजुल कर यह लूट संपन्न करवाती हैं ! इन विभागों में प्रमुख हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा; कृषि, उद्यान, परिवहन, रेल, उद्योग, और भी जितने विभाग हैं सभी विभागों कि स्थिति एक-से- एक सुदृढ़ है इस लूट और भृष्टाचार कि व्यवस्था में! और हाँ कुछ व्यक्ति विशेष भी व्यक्तिगत लाभ के लिए, इन अधिकारीयों और विभागों का साथ देते हैं; और लाभान्वित होते है या होना चाहते ह
बहुत सही....रचना भीतर गहरे उतरती हुई !!!
जवाब देंहटाएंइस पार है असत्य,
जवाब देंहटाएंउस पार वह प्रत्यक्ष,,,भाव पूर्ण पंक्तियाँ
यही है जीवन का सत्य,,,,
RECENT POST:..........सागर
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंउम्दा...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंसशक्त और सार्थक भाव..
अनु
सत्य और असत्य के बीच बिभ्रम कि झीनी चादर को हटाने का एक सार्थक प्रयास ...आपको सत्य सर्जन के लिए बधाई ..बहुत दिनों बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली आपको पुन: बधाई
जवाब देंहटाएंसत्य और असत्य के बीच बिभ्रम कि झीनी चादर को हटाने का एक सार्थक प्रयास ...आपको सत्य सर्जन के लिए बधाई ..बहुत दिनों बाद एक अच्छी कविता पढने को मिली आपको पुन: बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है |सत्य और असत्य के बीच विभ्रमित,
जवाब देंहटाएंआशा