आज सूरज फिर आया तुम्हारे दरवाजे पर; एक नया सवेरा लेकर! दूर कर निराशा की तमीशा; उपजाओ आशा! कैसी चिंता, बीते कल की; बीत गया वह क्षण; गुजर गया तम विवर ! आज सूरज फिर आया तुम्हारे दरवाजे पर; एक नया सवेरा लेकर! हो चिन्तन; न हो चिंता जीवन की! तज दो निज व्यथा का व्योमोहन! धर दो पग अब कर्म पथ पर! आज सूरज फिर आया तुम्हारे दरवाजे पर; एक नया सवेरा लेकर! व्यर्थ भ्रम उर में भर, विचलित करते तुम्हे शून्य- शिखर! होकर उर्जस्वित, प्रत्यक्ष का वरण कर आज सूरज फिर आया तुम्हारे दरवाजे पर; एक नया सवेरा लेकर!
आपके विचारों का प्रतिबिम्ब !